नन्ही सी जान थे हम,
जब हम इस दुनिया में आए.
दुनिया से अंजान थे हम,
सिर्फ मासूमियत को साथ लाए.
दुनिया से परिचय कराती,
माँ बनी पहेली शिक्षक.
हर कदम पे सीख देती,
जैसे कोई मार्गदर्शक.
रूप बदलते गए शिक्षक के,
पर पाठ वही अच्छाई का.
निर्मल ह्रदय धरते हैं ये,
जैसे रूप हो कोई सच्चाई का.
ये मार्गदर्शक और रक्षक हैं,
कभी किसी का बुरा न चाहते.
डांटकर सही राह दिखाकर,
पत्थर से हमें शिला बनाते.
इनकी निस्वार्थ सेवा को देख,
अपना शीश झुकाते हैं हम.
इनका वर्णन क्या करूँ मै,
व्याकरण भी पड़ता है कम.
AMBREEN TAJ H.B
7 sem, CSE.
Search This Blog
My feelings towards my teachers



Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No Response to "My feelings towards my teachers"
Post a Comment