Search This Blog

A cute poem

सपने देखे हैं मैंने भी तमाम ,
अब बस उन्हें अपनाने को जी करता ||
दुनिया की चमक में फीका पड़ा हूँ मैं,
अब खुद एक रौशनी बनने को जी करता ||


खूब चला मैं क़दमों के निशाँ पर,
अब मुड़ कर खुद के कदम देखने को जी करता ||
सपने देखे हैं मैंने भी तमाम ,
अब बस उन्हें अपनाने को जी करता ||


झुलसता रहा हूँ अब तक किंकर्तव्य विमूढ़ सा जिन्दगी की दावानल में,
अब बस बसंती पवन सा झूमने को जी करता ||
जिन्दगी की तन्हाइयों में अब तक खोया रहा हूँ मैं,,
अब बस महफिले सजाने को जी करता ||


हर आशियाने का जिक्र हुआ मेरे आशियाने मे
अब बस आशियाने आम होने को जी करता ||
जिस फलक पे था कभी बैठा हुआ ,,
अब बस उन ऊँचाइयों को छूने को जी करता||


सपने देखे हैं मैंने भी तमाम ,,
अब बस उन्हें अपनाने को जी करता ||

NIKHIL
5th CSE

No Response to "A cute poem"

Post a Comment